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આજની આકાશવાણી

वह चीज जो दूर दिखाई देती है, जो असंभव दिखाई देती है, जो हमारी पहुच से बहार दिखाई देती है, वह भी आसानी से हासिल हो सकती है यदि हम तप करते है. क्यों की तप से ऊपर कुछ नहीं. That thing which is distant, that thing which appears impossible, and that which is far beyond our reach, can be easily attained through tapasya (religious austerity), for nothing can surpass austerity.

Thursday, January 28, 2016

◆( मेरे सपनों का भारत-निबंध लेखन )-अकबर बीरबल की कहानी◆

Essay for mere sapno KA bharat......
◆ मेरे सपनों का भारत ◆ निबंध
भारत हमारी जन्म एवं कर्मभूमि है। भिन्न-भिन्न जाति वर्ग के लोगों के बीच इस देश ने अपनी पारंपरिक सभ्यता-संस्कृति एवं सर्वधर्मसहिष्णुता की भावना के कारण विश्व में अपनी अनूठी पैठ बना रखी है। भारत सदियों से विश्व का मार्गदर्शक बना हुआ है। ऐसे में देश की प्रतिष्ठा दिन-व-दिन धूमिल होती जा रही है।
जहां भारत की सभ्यता-संस्कृति तथा परम्पराओं की पूरे विश्व में प्रशंसा की जाती है और पूरा विश्व उसका अनुकरण कर रहा है] वहीं देश के सामने अनेक समस्याओं ने अपना प्रकोप दिखाना प्रारंभ कर दिया है। देशवासी अनेक मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं।  बेरोजगारी गरीबी लूटपाट आतंकवाद क्षेत्रवाद तकनीकी कौशलता का अल्प प्रयोग कृषिगत समस्याएं राजनीतिक उथल-पुथल भ्रष्टाचार आदि ने देश के विकास को रोक रखा है तथा देश में अशांति का माहौल बना रखा है। अत मैं एक ऐसे सुनहरे भारत की कल्पना करता हूं जो हर क्षेत्र में विश्व का अग्रणी राष्ट्र हो फिर चाहे वह विज्ञान का क्षेत्र हो या साहित्य अथवा उघोग-धंधे।


मैं अपने देश भारत को विश्व के अग्रणी राष्ट्र के रूप में विश्व पटल पर अंगित करना चाहता हूं। यह तभी संभव है जब देश का हर नागरिक अपने दायित्वों का निर्वाह भलीभांति करेगा। लोग अपने जिम्मेदारियों को समझेंगे और भ्रष्टाचार से देश को मुक्त करेंगे। हमारे देश का विकास अवरोधित हो चुका है इसका सर्वप्रमुख कारण देश में व्याप्त भ्रष्टाचार है। यह हमारे देश की बुनियाद को ही खोखला कर रहा है। हर व्यकित किसी न किसी रूप में या तो भ्रष्टाचार कर रहे हैं या उसके साक्षी बन रहे हैं।

अतः यदि हम अपने देश भारत को पूनः उसकी गरिमा दिलाना चाहते हैं और उसे वही सोने की चिडि़या बनाना चाहते हैं तो हमें अपने राष्ट्र में व्याप्त तमाम बुराइयों को मिलजुलकर मिटाना होगा। अगर हमारा सहयोग रहा तो वह दिन दूर नहीं जब फिर से हमारा देश अमन] चैन और खुशहाली की मिशाल होगा।
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मेरे सपनों का भारत
मेरे सपनों का भारत एक ऐसा भारत है जहाँ पर हर एक मनुष्य को गर्व हो की वो भारतीय है। जहाँ गरीबी का नामो निशान भी नहीं हो, हर तरफ हरयाली और खुशियाँ हों। शुद्ध पर्यावरण और सुंदर प्रकृति हो, सभी को रोज़गार मिले, ग्रामीण छेत्रों में साफ़ पानी, बिजली, स्कूल, और अस्पताल हों। मेरे सपनों के भारत में भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और साम्प्रदायक दंगे कभी न हों, सड़कों पर गड्ढे न हों, बढ़ती आबादी की वजह से हर जगह भीड़ न हो, लोगों को अपने सपने पूरा करने के लिए विदेश न जाना पड़े, आतंकवाद की घटनाएं न हों आदि।
मैंने सपना देखा है की भारत में हर इंसान पढ़ा लिखा हो और ये तभी संभव है जब शिक्षा का सही तरह से प्रसार होगा। गाँव के लोगों में शिक्षा के प्रति उत्साह पैदा होगा तभी देश उन्नति की ओर कदम रखेगा। यह ध्यान रखना होगा की साम्प्रदायक दंगों पर रोक लगायी जाए। हिन्दू , मुस्लिम , सिख , इसाई , मिलजुल कर रहें और सभी में भाईचारे की भावना हो। जैसे-जैसे हम प्रगति की ओर बढ़ रहे हैं प्रदूषण बढ़ता जा रहा है , सड़कों को चौड़ा करने के लिए जहाँ तहां पेड़ काटे जा रहे हैं, प्रकृति पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। गर्मी के मौसम में गर्मी बढ़ती जा रही है और ठण्ड के मौसम में ठण्ड। बढ़ती जनसँख्या को और बेरोज़गारी को ख़तम करना बहुत जरुरी है।
मैंने अपने सपनों में इतना सुंदर भारत देखा तो है लेकिन इस सपने को पूरा होने के लिए अभी बहुत समय बाकि है, बल्कि ऐसा लगता है की ये सपना पूरा होगा भी या नहीं । जो कुछ भी मैंने देखा है कहीं सपना ही बन कर न रह जाये । आज जिस ओर देखो समस्याएं ही समस्याएं हैं जिसे देखो अपने स्वार्थ के बारे में ही सोचता है । नेता देश का सुधार करने की जगह धन कमाने में लगे हुए हैं , अगर भारत के नेता इमानदारी से काम करें और भ्रष्ट नेताओं से मुक्ति पा ली जाए तो काफी मुश्किलें आसान हो जाएगीं ।
जब सभी देशवासी देश को सुधारने के लिए कड़ी मेहनत करेंगें तो वोह दिन दूर नहीं जब मेरा यह सपना सच हो जाएगा। और में गर्व से कह पाऊँगी की ये है मेरे सपनों का भारत।

◆ अकबर बीरबल की कहानी ◆

सबसे बड़ी चीज......

एक दिन बीरबल दरबार में उपस्थित नहीं थे। ऐसे में बीरबल से जलने वाले सभी सभासद बीरबल के खिलाफ बादशाह अकबर के कान भर रहे थे।
अक्सर ऐसा ही होता था, जब भी बीरबल दरबार में उपस्थित नहीं होते थे, तभी दरबारियों को मौका मिल जाता था। आज भी ऐसा ही मौका था।

बादशाह के साले मुल्ला दो प्याजा की शह पाए कुछ सभासदों ने कहा -'जहांपनाह!
आप वास्तव में बीरबल को आवश्यकता से अधिक मान देते हैं, हम लोगों से ज्यादा उन्हें चाहते हैं। आपने उन्हें बहुत सिर चढ़ा रखा है। जबकि जो काम वे करते हैं, वह हम भी कर सकते हैं। मगर आप हमें मौका ही नहीं देते।’

बादशाह को बीरबल की बुराई अच्छी नहीं लगती थी, अतः उन्होंने उन चारों की परीक्षा ली- 'देखो, आज बीरबल तो यहां हैं नहीं और मुझे अपने एक सवाल का जवाब चाहिए।

यदि तुम लोगों ने मेरे प्रश्न का सही-सही जवाब नहीं दिया तो मैं तुम चारों को फांसी पर चढ़वा दूंगा।' बादशाह की बात सुनकर वे चारों घबरा गए।

उनमें से एक ने हिम्मत करके कहा- 'प्रश्न बताइए बादशाह सलामत ?'

'संसार में सबसे बड़ी चीज क्या है? ....और अच्छी तरह सोच-समझ कर जवाब देना वरना मैं कह चुका हूं कि तुम लोगों को फांसी पर चढ़वा दिया जाएगा।'

बादशाह अकबर ने कहा- 'अटपटे जवाब हरगिज नहीं चलेंगे। जवाब एक हो और बिलकुल सही हो।'

'बादशाह सलामत? हमें कुछ दिनों की मोहलत दी जाए।' उन्होंने सलाह करके कहा।

'ठीक है, तुम लोगों को एक सप्ताह का समय देता हूं।' बादशाह ने कहा।

चारों दरबारी चले गए और दरबार से बाहर आकर सोचने लगे कि सबसे बड़ी चीज क्या हो सकती है?

एक दरबारी बोला- 'मेरी राय में तो अल्लाह से बड़ा कोई नहीं।’

'अल्लाह कोई चीज नहीं है। कोई दूसरा उत्तर सोचो।' - दूसरा बोला।

'सबसे बड़ी चीज है भूख जो आदमी से कुछ भी करवा देती है।' - तीसरे ने कहा।

'नहीं…नहीं, भूख भी बर्दाश्त की जा सकती है।’

'फिर क्या है सबसे बड़ी चीज?' छः दिन बीत गए लेकिन उन्हें कोई उत्तर नहीं सूझा।

हार कर वे चारों बीरबल के पास पहुंचे और उसे पूरी घटना कह सुनाई, साथ ही हाथ जोड़कर विनती की कि प्रश्न का उत्तर बता दें।

बीरबल ने मुस्कराकर कहा- 'मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूंगा, लेकिन मेरी एक शर्त है।'

'हमें आपकी हजार शर्तें मंजूर हैं।' चारों ने एक स्वर में कहा- 'बस आप हमें इस प्रश्न का उत्तर बताकर हमारी जान बख्शी करवाएं।

'बताइए आपकी क्या शर्त है?' 'तुममें से दो अपने कंधों पर मेरी चारपाई रखकर दरबार तक ले चलोगे। एक मेरा हुक्का पकड़ेगा, एक मेरे जूते लेकर चलेगा।' बीरबल ने अपनी शर्त बताते हुए कहा।

यह सुनते ही वे चारों सन्नाटे में आ गए। उन्हें लगा मानो बीरबल ने उनके गाल पर कस कर तमाचा मार दिया हो। मगर वे कुछ बोले नहीं। अगर मौत का खौफ न होता तो वे बीरबल को मुंहतोड़ जवाब देते, मगर इस समय मजबूर थे, अतः तुरंत राजी हो गए।

दो ने अपने कंधों पर बीरबल की चारपाई उठाई, तीसरे ने उनका हुक्का और चौथा जूते लेकर चल दिया। रास्ते में लोग आश्चर्य से उन्हें देख रहे थे। दरबार में बादशाह ने भी यह मंजर देखा और वह मौजूद दरबारियों ने भी। कोई कुछ न समझ सका।

तभी बीरबल बोले- 'महाराज? दुनिया में सबसे बड़ी चीज है- गरज। अपनी गरज से यह पालकी यहां तक उठाकर लाए हैं।'

बादशाह मुस्कराकर रह गए। वे चारों सिर झुकाकर एक ओर खड़े हो गए।

From: Amuly Gujarati Vartao