विश्व के सात आश्चर्य
क्राइस्ट द रिडीमर
· चिचेन इत्जा
· चीन की दीवार
· जोर्डन का 'पेत्रा'
· ताजमहल
· माचू पिच्चू
· रोम का कोलोसियम
क्राइस्ट द रिडीमर
क्राइस्ट द रिडीमर आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों में से एक है।
ब्राजील के रियो डि जनेरियो में पहाड़ी के ऊपर स्थित 130 फुट ऊँची 'क्राइस्ट द रिडीमर' अर्थात 'उद्धार करने वाले ईसा मसीह' की मूर्ति स्थित है।
यह क्रॉस या सलीब के आकार की है,[1] कंक्रीट और पत्थर की बनी है और 1931 में बनकर तैयार हुई थी जब लोगों से मिले दान से इसे बनाया गया।
यह विश्व में ईसा मसीह की सबसे बड़ी मूर्ति है।
यह दुनिया में अपनी तरह की सबसे ऊँची मूर्तियों में से एक है।
यह मज़बूत कांक्रीट और सोपस्टोन से बनी है, इसका निर्माण 1922 और 1931 के बीच किया गया था।
चेन इत्जा
चिचेन इत्जा आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों में से एक है।
आज के मध्य अमेरिका में स्थित यह मंदिर-नगरी पुरानी माया सभ्यता का अवशेष है।
माया सभ्यता यहाँ पर 750 से 1200 सदी के बीच फली-फूली और यह शहर इनकी राजधनी और धर्मिक नगरी थी।
शहर के बीचों-बीच 'कुकुलकन का मंदिर' है जो 79 फीट की ऊँचाई तक बना है।
चिचेन इत्जा की चार दिशाओं में 91 सीढ़ियाँ हैं, प्रत्येक सीढ़ी साल के एक दिन का प्रतीक है और 365 वां दिन ऊपर बना चबूतरा है।
चीन की दीवार
चीन की दीवार आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों में से एक है।
चीन की यह दीवार 5वीं सदी ईसा पूर्व में बननी चालू हुई थी और 16 वीं सदी तक बनती रही।
यह दीवार चीन की उत्तरी सीमा पर बनाई गयी थी ताकि मंगोल आक्रमणकारियों को रोका जा सके।
चीन की यह दीवार संसार की सबसे लम्बी मानव निर्मित रचना है। जो लगभग 4000 मील (6,400 किलोमीटर) तक फैली है।
अंतरिक्ष से लिये गये पृथ्वी के चित्रों में भी यह नज़र आती है।
चीन की इस दीवार की चौड़ाई इतनी रखी गयी थी जिसपर 5 घुड़सवार या 10 पैदल सैनिक बगल-बगल में गश्त लगा सकें। इसकी सबसे ज़्यादा ऊँचाई 35 फुट है।
पुराने समय में तीर या भाले इतनी ऊँचाई को पार करके नहीं जा सकते थे और यह सुरक्षा देती थी।
बाद में इसमें निरीक्षण मीनारें बना कर दूर से आते शत्रुओं पर निगाह रखने के लिये भी इस्तेमाल किया गया और चीन को दूसरे देशों से अलग करने के लिये भी।
ऐसा कहा जाता है कि इसे बनाने में 3000 जानें गईं और कई मज़दूर इसे अपनी पूरी ज़िन्दगी भर बनाते रहे।
हां तो हज़रात!
ताज की कहानी इतनी लम्बी है
सुनाना शुरू करूं
तो हो जाएगी रात
लेकिन दास्तान ख़तम नहीं होगी।
पांच सदियों पुरानी ये कहानी,
हुज़ूर आगे आ जाइए,
आज भी ज़िंदा है।
ज़माना गौर से सुन रहा है
पर जी नहीं भरता है।
ख़ुदा मालूम
इसके मरमरी ज़िस्म में
क्या- क्या है
पर इतना कहूँगा
कि चित्रकार की नज़र है
शायर का दिल है
बहारों का नग़मा है।
ताज क्या है
क़ुदरत की हथेली में
खिला हुआ इक फूल है वक़्त के रुख़सार पर
ठहरा हुआ आंसू है हुज़ूर
हुस्नो-जमाल का जलवा है
इतना ख़ूबसूरत इतना नाज़ुक
इतना मुक़म्मल
इतना पाकीज़ा है हुज़ूर
कि बाज़-वक़्त डर लगता
छूने में
कि मैला न हो जाए।
● जोर्डन का 'पेत्रा'
जोर्डन का 'पेत्रा' आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों में से एक है।
यह अपने तरह-तरह की पत्थर की इमारतों के लिये प्रसिद्ध है जो लाल चट्टानों से बनी हैं।
इनमें 138 फुट ऊँचा नक़्क़ाशी किया मंदिर प्रसिद्ध है। इसके अलावा नहरें, पानी के तालाब, तथा खुला स्टेडियम जिसमें 4000 लोग बैठते थे, जैसी कई चीज़ें हैं।
जार्डन जैसा देश अपनी धरोहर के विश्व आश्चर्य चुने जाने से प्रसन्न है क्योंकि पड़ोस के ईराक तथा अन्य देशों में अशांति से जॉर्डन में सैलानियों का आना कम हो गया है।
पेत्रा एक 'होर' नामक पहाड़ की ढलान पर बना हुई है और पहाड़ों से घिरी हुई एक द्रोणी में स्थित है।
यह पहाड़ मृत सागर से अक़ाबा की खाड़ी तक चलने वाली 'वादी अरबा' नामक घाटी की पूर्वी सीमा है।
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