નમસ્કાર...મિત્રો આપ સૌનું મારા આ શૈક્ષણિક બ્લોગમાં સ્વાગત છે,અહીંં વિવિધ સંદર્ભોમાંથી સંકલિત કરેલ તેમજ મારા દ્વારા બનાવેલ શૈક્ષણિક સામગ્રી મુકવાનો એક નમ્ર પ્રયાસ છે..આશા છે કે આપને અહીં વારંવાર આવવાનુ ગમશે.

આજની આકાશવાણી

वह चीज जो दूर दिखाई देती है, जो असंभव दिखाई देती है, जो हमारी पहुच से बहार दिखाई देती है, वह भी आसानी से हासिल हो सकती है यदि हम तप करते है. क्यों की तप से ऊपर कुछ नहीं. That thing which is distant, that thing which appears impossible, and that which is far beyond our reach, can be easily attained through tapasya (religious austerity), for nothing can surpass austerity.

Thursday, November 17, 2016

● पचास का नोट ◆ दिल को छू लेनेवाली कहानी ...Must read.

एक  व्यक्ति  office में देर  रात तक काम  करने  के  बाद  थका -हारा घर  पहुंचा  . दरवाजा  खोलते  ही  उसने  देखा  कि  उसका  पांच  वर्षीय  बेटा  सोने  की  बजाये  उसका  इंतज़ार  कर  रहा  है .

अन्दर  घुसते  ही  बेटे  ने  पूछा —“ पापा  , क्या  मैं  आपसे  एक  question पूछ  सकता  हूँ ?”

“ हाँ -हाँ  पूछो , क्या  पूछना  है ?” पिता  ने  कहा .

बेटा – “ पापा , आप  एक  घंटे  में  कितना  कमा लेते  हैं ?”

“ इससे  तुम्हारा  क्या  लेना  देना …तुम  ऐसे  बेकार  के  सवाल  क्यों  कर  रहे  हो ?” पिता  ने  झुंझलाते  हुए  उत्तर  दिया .

बेटा – “ मैं  बस  यूँही जानना  चाहता  हूँ . Please  बताइए  कि  आप  एक  घंटे   में  कितना  कमाते  हैं ?”

पिता  ने  गुस्से  से  उसकी  तरफ  देखते  हुए  कहा , “ 100 रुपये  .”

“अच्छा ”, बेटे  ने  मासूमियत   से   सर  झुकाते   हुए  कहा -, “  पापा  क्या  आप  मुझे  50 रूपये  उधार  दे  सकते  हैं ?”

इतना  सुनते  ही  वह   व्यक्ति  आग  बबूला  हो  उठा , “ तो  तुम इसीलिए  ये  फ़ालतू  का  सवाल  कर  रहे  थे ताकि  मुझसे  पैसे  लेकर तुम  कोई  बेकार  का  खिलौना   या  उटपटांग  चीज  खरीद  सको ….चुप –चाप  अपने  कमरे  में  जाओ  और  सो  जाओ ….सोचो  तुम  कितने  selfish हो …मैं  दिन  रात  मेहनत  करके  पैसे  कमाता  हूँ  और  तुम  उसे  बेकार  की  चीजों  में  बर्वाद  करना  चाहते  हो ”

यह सुन बेटे  की  आँखों  में  आंसू  आ  गए  …और   वह  अपने  कमरे  में चला गया .

व्यक्ति  अभी  भी  गुस्से  में  था  और  सोच  रहा  था  कि  आखिर  उसके  बेटे  कि ऐसा करने कि  हिम्मत  कैसे  हुई ……पर  एक -आध  घंटा   बीतने  के  बाद  वह  थोडा  शांत  हुआ , और  सोचने  लगा  कि  हो  सकता  है  कि  उसके  बेटे  ने  सच -में  किसी  ज़रूरी  काम  के  लिए  पैसे  मांगे  हों , क्योंकि  आज  से  पहले   उसने  कभी  इस  तरह  से  पैसे  नहीं  मांगे  थे .

फिर  वह  उठ  कर  बेटे  के  कमरे  में  गया  और बोला , “ क्या तुम सो  रहे  हो ?”, “नहीं ” जवाब  आया .

“ मैं  सोच  रहा  था  कि  शायद  मैंने  बेकार  में  ही  तुम्हे  डांट  दिया , दरअसल  दिन भर  के  काम  से  मैं  बहुत

थक   गया  था .” व्यक्ति  ने  कहा .

“I am sorry….ये  लो  अपने  पचास  रूपये .” ऐसा  कहते  हुए  उसने  अपने  बेटे  के  हाथ  में  पचास  की  नोट  रख  दी .

“Thank You पापा ” बेटा  ख़ुशी  से  पैसे  लेते  हुए  कहा , और  फिर  वह  तेजी  से  उठकर  अपनी  आलमारी  की  तरफ   गया , वहां  से  उसने  ढेर  सारे  सिक्के  निकाले  और  धीरे -धीरे  उन्हें  गिनने  लगा .

यह  देख  व्यक्ति  फिर  से  क्रोधित  होने  लगा , “ जब  तुम्हारे  पास  पहले  से  ही  पैसे  थे  तो  तुमने   मुझसे  और  पैसे  क्यों  मांगे ?”

“ क्योंकि  मेरे  पास पैसे कम  थे , पर  अब  पूरे  हैं ” बेटे  ने  कहा .

“ पापा  अब  मेरे  पास  100 रूपये  हैं . क्या  मैं  आपका  एक  घंटा  खरीद  सकता  हूँ ? Please आप ये पैसे ले लोजिये और  कल  घर  जल्दी  आ  जाइये  , मैं  आपके  साथ  बैठकर  खाना  खाना  चाहता  हूँ .”

दोस्तों ,  इस तेज रफ़्तार जीवन में हम कई बार खुद को इतना busy कर लेते हैं कि उन लोगो के लिए  ही समय नहीं निकाल पाते जो हमारे जीवन में सबसे ज्यादा importance रखते हैं. इसलिए हमें ध्यान रखना होगा कि इस आपा-धापी में भी हम अपने माँ-बाप, जीवन साथी, बच्चों और अभिन्न मित्रों के लिए समय निकालें, वरना एक दिन हमें भी अहसास होगा कि हमने छोटी-मोटी चीजें पाने के लिए कुछ बहुत बड़ा खो दिया.

● Via whatsapp......◆◆◆◆◆

Thanks for read.

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