♣ जंतर- मंतर♣
●दिल्ली कनॉट प्लेसमें स्थित स्थापत्य कला का अद्वितीय नमूना 'जंतर मंतर 'दिल्ली के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।
●यह एक वेधशाला है। जिसमें 13 खगोलीय यंत्र लगे हुए हैं।
●यह राजा जयसिंह द्वारा डिजाईन की गयी थी।
●एक फ्रेंच लेखक 'दे बोइस' के अनुसार राजा जयसिंह खुद अपने हाथों से इस यंत्रों के मोम के मोडल तैयार करते थे।
●जयपुर की बसावट के साथ ही तत्कालीन महाराजा सवाई जयसिंह [द्वितीय] ने जंतर-मंतर का निर्माण कार्य शुरू करवाया, महाराजा ज्योतिष शास्त्र में दिलचस्पी रखते थे और इसके ज्ञाता थे।
● जंतर-मंतर को बनने में करीब 6 साल लगे और 1734 में यह बनकर तैयार हुआ। इसमें ग्रहों की चाल का अध्ययनकरने के लिए तमाम यंत्र बने हैं।
●यह इमारत प्राचीन भारत कीवैज्ञानिक उन्नति की मिसाल है।
●दिल्ली का जंतर-मंतर समरकंद [उज्बेकिस्तान] की वेधशाला से प्रेरित है।
●मोहम्मद शाह के शासन काल में हिन्दु और मुस्लिम खगोलशास्त्रियों में ग्रहों की स्थित को लेकिर बहस छिड़ गई थी।
● इसे खत्म करने के लिए सवाई जय सिंह ने जंतर-मंतर का निर्माण करवाया।
●राजा जयसिंह ने भारतीय खगोलविज्ञान को यूरोपीय खगोलशास्त्रियों के विचारों से से भी जोड़ा।
●उनके अपने छोटे से शासन काल में उन्होंने खगोल विज्ञानमें अपना जो अमूल्य योगदान दिया हैउस के लिए इतिहास सदा उनका ऋणी रहेगा।
●जंतर मंतर के कुछ उपकरणोकी जानकारी
●ग्रहों की गति नापने के लिए यहां विभिन्न प्रकार के उपकरण लगाए गए हैं।
♣सम्राट यंत्र♣
जंतर मंतर, में सम्राट यंत्रयह सूर्य की सहायता से वक्त और ग्रहों की स्थिति की जानकारी देता है।
♣मिस्र यंत्र ♣
मिस्र यंत्र वर्ष के सबसे छोटेओर सबसे बड़े दिन को नाप सकता है।
◆राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र
राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र खगोलीय पिंडों की गति के बारे में बताता है।
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