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આજની આકાશવાણી

वह चीज जो दूर दिखाई देती है, जो असंभव दिखाई देती है, जो हमारी पहुच से बहार दिखाई देती है, वह भी आसानी से हासिल हो सकती है यदि हम तप करते है. क्यों की तप से ऊपर कुछ नहीं. That thing which is distant, that thing which appears impossible, and that which is far beyond our reach, can be easily attained through tapasya (religious austerity), for nothing can surpass austerity.

Wednesday, January 06, 2016

●आज का परिचय ◆ कपिलदेव - भारतीय क्रिकेटर के बारे मे जानिए ◆

◆ कपिलदेव - भारतीय क्रिकेटर ◆

♣पूरा नाम - कपिल देव रामलाल निखंज
♣जन्म- 6 जनवरी, 1959
◆बल्लेबाज़ी का तरीक़ा- दायें हाथ का बल्लेबाज ◆
◆गेंदबाज़ी का तरीक़ा- दायें हाथ का गेंदबाज◆
●  टेस्ट क्रिकेट # एकदिवसीय- अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट ●
◆मुक़ाबले #131- 225
◆बनाये गये रन #5248 -3783
◆सर्वोच्च स्कोर #163- 175*
◆फेंकी गई गेंदें #27740- 11202
◆विकेट # 434- 253
▶ कपिल् देव उर्फ कपिल देव राम लाल निखञ का जन्म ६ जन्वरी १९५९ को चंडीगढ़ मे हुआ।
▶ उनका विवाह रोमी भाटिया से सन १९८० मे हुआ। उनकी बेटी, अमिया देव का जन्म १६ जन्वरी, १९९६ को हुआ।
▶ वे भार्तीय क्रिकेट के कप्तान के पद पर रेह चुके है। उन्होने १९८३ क्रिकेट् विश्वा कप मे भार्तीय क्रिकेट टीम की कप्तानी करी और भारत को विश्वा कप का गौरव प्राप्त कराया।
▶ वे विस्डेन द्वारा वर्ष २००२ मे सदी के भार्तीय क्रिकटर चुने गये है। तथा उन्होने भार्तीय् क्रिकेट टीम कि कोचिङ १० माह के लिये भी करी है।
●  क्रिकेट  ●
▶ उन्होने अपने क्रिकेट करीयर की शुरुआत १९७५ मे हरयाना की ओर से पञाब के विरुध घरेलु क्रिकेट से करी।
▶ वे एक ओल राउन्डर थे जोकि दाये हाथ से बल्लेबाज़ी एव तेज़ गेन्दबाज़ी भी करते थे। उनका अन्तर-राष्ट्रीय व्यवसाय पाकिस्तान के विरुध फैस्लाबाद मे १६ अक्टूबर १९७८ को हुआ। हालान्कि यह दौरा उनके लिये कुछ अच्छा न रहा, परन्तु आने वाले समय मे उन्होने अपने उन्दा प्रदर्शन से भार्तीय क्रिकेट टीम मे अपनी जगह सुनिशचित कर ली।
▶ श्री-लन्का के विरुध १९८२-८३ मे उन्होने अपनी कप्तानी मे प्रथम प्रवेश किया। जब उन्हे विश्व कप की कप्तानी का अवसर मिला तो वे एक औसत खिलाडी ही थे, परन्तु अपने आश्चर्या-जनक प्रदर्श्न से तथा अपनी टीम के सहयोग से भारत को पेह्ला विश्व कप जिताया और रातो-रात ही भार्तीय इतिहास का चमकता सितारा बन गये।
▶ मोहम्मग अज़हरुद्दीन की कप्तानी मे उन्होने १९९२ के विश्व कप मे अपना आखरी अन्तर-राष्ट्रिया खेल खेला। उन्होने अपने क्रिकेट व्यवसाय मे एक दिवसीय क्रिकेट मे २२५ और टेस्ट क्रिकेट मे १३१ मैच खेले। एक दिवसीय क्रिकेट मे उन्होने 23.79 की औसत से ३७८३ रन बनाये तथा टेस्ट क्रिकेट मे उन्होने 31.05 की औसत से ५२४८ रन बनाये। गेन्दबाज़ी करते हुए उन्होने एक दिवसीय तथा टेस्ट क्रिकेट मे २५३ तथा ४३४ विकेट लिये क्रमश:।
▶ १९८३ के विश्व कप मे ज़ि मबाब्वे के विरुध उनकी १७५ रन की पारी यादगार रहेगी जिस्की बदौलत भारत वह मैच जीता। उन्होने एक दिवसीय क्रिकेट मे १ और टेस्ट क्रिकेत मे ८ शतक लगाई है।



● पुरस्कार ◆
१९७९-८० - अर्जुना पुरस्कार
१९८२ - पदम श्री
१९८३ - विस्डेन क्रिकेटर ओफ द यर
१९९१ - पदम भूश्न
२००२ - विस्देन इन्डियन क्रिकेटर ओफ द सेन्चुरी